Monday, March 28, 2011

वो अपनी जगह पर ठीक था...

वो अपनी जगह पर ठीक था,मैं अपनी जगह जायज़
कुछ हालात ही ऐसे थे कि हम मिल नहीं पाए,

जिन्होने बात छेड़ी थी उसूलों की उन्हे देखो
बहुत दिन तक उसूलों पर कभी वो टिक नहीं पाए...

कुछ मेरी अपनी शर्तें थी,कुछ उसके अपने पहलू थे..
उसने ना हाथ बढ़ाया,कभी हम झुक नहीं पाए...

लाखों लाख लेकर लोगों ने क़ीमत लगाई थी
हमने ख़ुद को नहीं बेचा,वो भी बिक नहीं पाए...

ये दस्तूरे ज़माना है,हमने ख़ुद को ही समझाया
न आंखे बंद कर पाया,ज़ुबा भी सिल नहीं पाए..

अजीब शहर है यारों,अजब के लोग रहते हैं..
बड़ा दिमाग पाया है छोटा सा दिल नहीं पाए..

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