जाने किस बात पर
देखो तो ये लड़ाई रहती है
बिना मुद्दा,बिना मसला,
संसद गरमाई रहती है।
हुक्मरां हैं ये हिंदुस्तां के,
हुनर मालूम है इनको
कहीं कुछ भी नहीं फिसले
पूरी तैयारी रहती है।
कोरे कागजों में सिमटी ग़ुमनाम जिंदगी... मैं अजब हूं, अगर अजब दास्तान लिख सकूं कोरे कागज़ पर हृदय का सब तुफ़ान लिख सकूं...
Thursday, November 3, 2011
Tuesday, November 1, 2011
ये न जानता था कि आज उनका जन्मदिन है...
कभी तो इस पहलू में आकर के देखो,
न पलकें बिछा दूं तो फिर यार कहना
कभी जूस्तजूं जो किया आसमां का
फलक़ ना हिला दूं तो फिर यार कहना
कभी मेरे गुलशन का रुख जो करोगे
ज़मीं पर नहीं तुम गुलों पर चलोगे
तेरे नाज़ुक लबों से जो इतराई कलियां
न गुलशन जला दूं तो फिर यार कहना
जो मुझसे मुहब्बत करो करो एक पल को
इन आखों से मेरे वफा बनकर छलको
न खुद को लिखा दूं तो फिर यार कहना
कभी मेरे दिल को तुम दिल देके देखों
रुह तक ना हिला दूं तो फिर यार कहना
न खुद को मिटा दूं तो फिर यार कहना
न पलकें बिछा दूं तो फिर यार कहना
कभी जूस्तजूं जो किया आसमां का
फलक़ ना हिला दूं तो फिर यार कहना
कभी मेरे गुलशन का रुख जो करोगे
ज़मीं पर नहीं तुम गुलों पर चलोगे
तेरे नाज़ुक लबों से जो इतराई कलियां
न गुलशन जला दूं तो फिर यार कहना
जो मुझसे मुहब्बत करो करो एक पल को
इन आखों से मेरे वफा बनकर छलको
न खुद को लिखा दूं तो फिर यार कहना
कभी मेरे दिल को तुम दिल देके देखों
रुह तक ना हिला दूं तो फिर यार कहना
न खुद को मिटा दूं तो फिर यार कहना
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