कोरे कागजों में सिमटी ग़ुमनाम जिंदगी...
मैं अजब हूं, अगर अजब दास्तान लिख सकूं कोरे कागज़ पर हृदय का सब तुफ़ान लिख सकूं...
Thursday, November 3, 2011
जाने किस बात पर
देखो तो ये लड़ाई रहती है
बिना मुद्दा,बिना मसला,
संसद गरमाई रहती है।
हुक्मरां हैं ये हिंदुस्तां के,
हुनर मालूम है इनको
कहीं कुछ भी नहीं फिसले
पूरी तैयारी रहती है।