Tuesday, November 1, 2011

ये न जानता था कि आज उनका जन्मदिन है...

कभी तो इस पहलू में आकर के देखो,
न पलकें बिछा दूं तो फिर यार कहना
कभी जूस्तजूं जो किया आसमां का
फलक़ ना हिला दूं तो फिर यार कहना
कभी मेरे गुलशन का रुख जो करोगे
ज़मीं पर नहीं तुम गुलों पर चलोगे
तेरे नाज़ुक लबों से जो इतराई कलियां
न गुलशन जला दूं तो फिर यार कहना

जो मुझसे मुहब्बत करो करो एक पल को
इन आखों से मेरे वफा बनकर छलको
न खुद को लिखा दूं तो फिर यार कहना
कभी मेरे दिल को तुम दिल देके देखों
रुह तक ना हिला दूं तो फिर यार कहना

न खुद को मिटा दूं तो फिर यार कहना