
समय के रेत पर,कदमों के निशान छोड़ जाएंगे
जब हम यह दुनिया और जहान छोड़ जाएंगे...
लिख सके तो लिखेंगे हम सारे हाल-ए-दिल
वर्ना दिल का गुमान छोड़ जाएंगे....
जब हम दुनिया और जहान छोड़ जाएंगे
कोशिश तो है..कि ला दूं बहार गुलशन में..
न एक बल्कि खिले ग़ुल हज़ार गुलशन में
न हुए हम मुक़म्मल हम अपनी कोशिश में..
वादा है अपना..एक तुफान छोड़ जाएंगे
जब हम दुनिया और जहान छोड़ जाएंगे
ज़मानेवालों न घबराओ मेरी हरक़त से..
हमारा क्या हम तो बेखौफ़ जिया करते हैं
कौन ज़िंदा है साथ लेकर जाने को...
जाने वाले तो अश्मसान छोड़ जाएंगे..
जब हम दुनिया और जहान जाएंगे...
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