कोरे कागजों में सिमटी ग़ुमनाम जिंदगी... मैं अजब हूं, अगर अजब दास्तान लिख सकूं कोरे कागज़ पर हृदय का सब तुफ़ान लिख सकूं...
Friday, September 10, 2010
सामधारी की मौत
सुशासन की सरकार में भी लोग भूख से मरते हैं....कुछ लोग हैं जो पेट की आग पर काबू पाने की कोशिश करते हैं..गोंद में हाथ डाल और पेट दबा कर ख़ुद को पेट भरे होने का एहसास कराते हैं..घुटनों को पेट से सटा कर सोने की कोशिश करते हैं...लेकिन जब उनके आंखों के तारे उनकी आंकों के सामने भूख से बिलबिलाते हैं...तो भूख की ये तड़प उनको तोड़ देती है..फिर उनको लगता हैं कि तिल तिल कर मरने से बेहतर है एक झटके में मौत को गले लगा लिया जाए...अपनी तड़प तो बर्दाश्त भी कर लें लेकिन अपने बच्चों को तड़प तड़प कर मरता आखिर कैसे देखें वो...ऐसी ही एक सच्ची कहानी है ये भी..जो सुसाशन के दावे वाली सूबे में घटी...हाकिम और हुक़्मरानों के लिए महज़ एक छोटी सी घटना भर लेकिन सामधारी नाम के ग़रीब की दुनिया सूनी हो गई...हां बदले में उसे चंद नोट मिल गए वो भी सुसाशन के दावे को मज़बूत करने के लिए....लोग कहते हैं इस घटना में सामधारी की बीवी और उसके बच्चे मर गए...मैं कहता हूं कि सामधारी की मौत हो गई...
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