सूखे से जूझ रहे झारखंड में किसानों की स्थिति बदहाल हो चुकी है...44 सालों में 19 बार अकाल जैसे हालात का सामना कर पलामू के किसान बेगार ही नहीं बेजार भी हो चुके हैं...गरीब किसान दाने दाने को मोहताज हैं...बिन रोटी चार किसानों की मौत हो चुकी है...जबकि सियासत दां सूखे और अकाल को लेकर राजनीति की रोटी सेंक रहे हैं.... बिन कपड़े के भूखे पेट खड़े ये बच्चे अवाक़ है...किसी अनहोनी को भांपती ये बच्चियां खामोश...गांव के लोग मायूस हैं...और अभी तुरंत ही विधवा हुई ये महिला बेसुध...सूखे से उपजी गरीबी ने इसका सुहाग इससे छीन लिया...अपने पति की लाश के पास बैठी शायद यही सोच रही है कि आखिर अब अपने बच्चों की परवरिश कैसे करेगी...शायद भूखमरी के चलते ही..पांडेय भूइयां की मौत हो गई...उसके हिस्से पड़ा राहत का 10 किलो अनाज, उसकी मौत के बाद आज उसके घर पहुंचा है... सुखे ने खेत की हरियाली छीन ली...पेट की भूख घर का अनाज खा गई...बेगार हुए किसान बेकार हो गए...घास का बना हलुआ मां बच्चों को खिलाना चाहती है..जो थोड़े बड़े हैं वो चुपचाप खाने लगते हैं..शायद आदत पड़ चुकी है..लेकिन छोटा ठुनकने लगता है...लोग कहते हैं सबकुछ सूखे ने निगल लिया...और सरकारी मदद का दस किलो अनाज मांगने पर दस दस तरह के कानून बताए जाते हैं... दिनकर जी ने कहा था कि भूख जब बेताब हुई तो स्वाधीनता की ख़ैर नहीं...कुछ ही दिनों पहले पलामू के हजारों लोगों ने अनाज के गोदाम पर धावा बोल दिया...क्या करें भूख बर्दाश्त नहीं होती...हालांकि अधिकारी कहते हैं कि गांव गांव में अनाज बांटे जा रहे हैं...ये एक नज़ारा पलामू का है..जहां भूख से मौत हो रही है...बच्चे बिलख रहे हैं..लोग मायूस हैं...लेकिन अधिकारी संतुष्ट हैं....इस रिपोर्ट के लिए पलामू से नीरज कुमार का साभार....
3 comments:
Sharmnak.
................
…ब्लॉग चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।
ultimate vikas sirji,
aab din door nhi jab mahua ke base mane jayenge aap,
have a great luck..........
my god, what a sound!
thanx for posting it............
Post a Comment