Saturday, October 2, 2010

जहां महिलाएं करती हैं तर्पण और पिंडदान...

अभी तक शायद आप यही जानते हैं कि शास्त्रों में सिर्फ पुरुषों को ही पिंडदान और तर्पण का अधिकार दिया गया है। लेकिन मिरजापुर के विंध्य क्षेत्र में मातृ नवमी के दिन महिलाएं अपने पितरों का तर्पण करती हैं। मान्यता है कि वनवास के दौरान माता सीता ने सीताकुंड पर तर्पण किया था। तब से लेकर आज तक ये परपंरा चली आ रही है.... हाथ जोड़े पूजा कर रही ये महिलाएं अपनो पितरों का तर्पण कर रही है...सुनकर आपको हैरानी ज़रुर हो रही होगी लेकिन ये परंपरा सदियों से चली आ रही है। मिर्जापुर के विंध्य क्षेत्र में मातृनवमी के दिन महिलाएं अपने पितरों का तर्पण करती हैं...कहा जाता है कि वनवास के दिनों माता सीता ने काशी और प्रयाग के मध्य स्थित इसी जगह पर अपने पितरों का तर्पण किया था...तभी से इस परंपरा की शुरूआत हुई। शास्त्रों के अनुसार पुत्रों को ही तर्पण और पिंडदान करने का अधिकार हैं..कहते हैं सबसे बड़े या सबसे छोटे पुत्र से अर्पित जल ही पूर्वजों तक पहुंचता है.लेकिन सीताकुंड के इस पावन धाम पर यूपी, बिहार और मध्यप्रदेश के साथ ही देशभर से महिलाएं अपने पितरों को तर्पण करने आती हैं...अपना देश परंपराओं और मान्यताओं का देश हैं...इन्ही मान्यताओं और परंपराओं की एक बानगी यहां भी देखने को मिल रही है जो सदियों से चली आ रही है... इस रिपोर्ट के लिए मिर्जापुर से नितिन अवस्थी का सहयोग...

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