Wednesday, October 27, 2010

चलिए आज आपको अपने गांव लेकर चलता हूं..

चलिए आपको अपने गांव लेकर चलता हूं...
पतली पगडंडी,घनी अमराइयों की छांव लेकर चलता हूं..
भोले की नगरी से 10 मील दूर ही है घर मेरा...
थून्ही है गांव चंदवक कस्बा ही शहर मेरा..
वही बाजार जहां चप्पल ना मिले बाटा की..
लेकिन हर रोज जहां बोली लगती टाटा की..
.....
.....क्रमशः जारी है...

1 comment:

deepakkibaten said...

kavita karne ka aapka andaz nirala hai..jari rakhiyega.....